नही मुझे पसंद
मैं रहना चाहती कोरा कागज बनके,
नही चाहिए वो चटक पन,
जो रंग मुझसे मेरी रूह का सुकून छीन ले।
वो ऊंचाइयां नही पसन्द मुझे,
जो मेरे कदमों से मेरी जमीन खींच लें।
वो अपने नहीं पसन्द मुझे,
जो ह्रदय को मेरे तड़प से बींध दें।
वो बरखा नही पसन्द मुझे,
जो नयनों को मेरे अश्रु से सींच दे।
वो सहारा नहीं पसन्द मुझे,
जो मुझे तन्हाई में खींच ले।
वो स्पर्श नही पसन्द मुझे,
जो अश्लीलता से भींच ले।
वो महबूब नहीं पसन्द मुझे ,
जो हुस्न पर रीझ ले।
वो दोस्त नही पसन्द मुझे ,
जो मेरे दर्द में हाथ खींच ले।
औरत को समझे मांस का टुकड़ा नही मुझे पसन्द,
बदला है दौर पास आने से पहले सोच हर गिद्ध ले।
भरके आँखे चुप रहना नही मुझे पसन्द,
वो दौर गया जब आह भरके आँख मीच ले।
नहीं रँगना बेगैरत के रंगों में मुझे
रहना पसन्द मेरे मन को कोरा कागज बनके।
Fiza Tanvi
23-Sep-2021 09:12 PM
Waao
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Swati chourasia
23-Sep-2021 09:11 PM
Wow very beautiful 👌👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
23-Sep-2021 07:52 PM
Very nice
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